क्या चाह है, क्या इरादा
नहीं मुझको है पता
चल रही हूँ राह पर,
कि आज मुझको कोई मिला।
जानकार भी अनजान है,
मेरी वो पहचान है
लेकिन खुद पर अभिमान है
चाहता सम्मान है।
ये अनजान कोई और नहीं
मेरी ही परछाई है।
चाहतों का सिलसिला है,
है डगर मुश्किल बड़ी
चाह की कुछ पाने की
कुछ का गुज़रने की,
ज़माने को अपना बनाने की।
चाह मेरी धुंआ हो गई
आसमां में कहीं खो गई।
इस संसार में कोई अपना नहीं,
कोई पराया नहीं
किसी को किसी की परवाह नहीं,
कोई मेरा नहीं, कोई तुम्हारा नहीं।
राह सबकी अलग है
राही भी अलग अलग है
सोचने का ढंग अलग है
व्यवहार में भिन्नता है,
लेकिन दिखावटी एकता है।
उमीदें फिर भी बंधी है
अपनों से, परायों से
दोस्तों से,बेगानों से।
कब वो दिन आएगा
जब मेरा सपना सच होगा-
की हम सब साथ हो
एक ही राह हो
दिलों में प्यार हो
हाथों में हाथ हो
खुद पर आत्मविशास हो
लेकिन सर्वप्रथम, इश्वर हमारे साथ हो।
( 2004 की रचना .........)
नहीं मुझको है पता
चल रही हूँ राह पर,
कि आज मुझको कोई मिला।
जानकार भी अनजान है,
मेरी वो पहचान है
लेकिन खुद पर अभिमान है
चाहता सम्मान है।
ये अनजान कोई और नहीं
मेरी ही परछाई है।
चाहतों का सिलसिला है,
है डगर मुश्किल बड़ी
चाह की कुछ पाने की
कुछ का गुज़रने की,
ज़माने को अपना बनाने की।
चाह मेरी धुंआ हो गई
आसमां में कहीं खो गई।
इस संसार में कोई अपना नहीं,
कोई पराया नहीं
किसी को किसी की परवाह नहीं,
कोई मेरा नहीं, कोई तुम्हारा नहीं।
राह सबकी अलग है
राही भी अलग अलग है
सोचने का ढंग अलग है
व्यवहार में भिन्नता है,
लेकिन दिखावटी एकता है।
उमीदें फिर भी बंधी है
अपनों से, परायों से
दोस्तों से,बेगानों से।
कब वो दिन आएगा
जब मेरा सपना सच होगा-
की हम सब साथ हो
एक ही राह हो
दिलों में प्यार हो
हाथों में हाथ हो
खुद पर आत्मविशास हो
लेकिन सर्वप्रथम, इश्वर हमारे साथ हो।
( 2004 की रचना .........)
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