Thursday, May 1, 2014

कल की चिंता


 दो पल खुशी खड़ी थी मेरे पास
मैं ना जाने कल के खयालों में खोई थी आज
ना जाने डूबी थी किस गहरी चिंता में
लो बीत गया दिन, इसी उधेड़बुन में

आज तुम साथ हो मेरे, क्या और चाहिए अब मुझे
फिर क्यूँ खो गये हो खुद में इतना, कुछ ना कहना अब मुझे
सोचा बीत जाए ये पल, कल पे छोड़ा तुम्हे
आज रूठ बैठी थी में, कल माना लूँगी तुम्हे
मेरी आँख के तारे, मेरे लिए जो है प्यारे
मुस्कुरातें और बहलातें मुझे
फँसी हूँ आज किस मज़धार में
कल देख लूँगी उन्हें प्यार से
दिल के अरमान कई है, जानती हूँ मैं
कभी पूरे किए थे, ऐसा एहसास है मुझे
वक़्त पीछे छोड़ चुकी हूँ, आगे बढ़ने के लिए
अरमानो का हार, अब नही दिखता मुझे


कल की सोच कल का डर, ख़त्म कर रहा है आज को
कल के लिए खो रहे है, हम आज अपनी राह को
ज़िंदग़ी कब तक चलेगी क्या पता किसी को
तो क्यूँ सोचे इतना, दूर करे कल की चिंता को

क्यूँ ना हम आज नई राह अपनाए
कल की तलाश में आज को क्यूँ ठुकराऐ
जीना तो है ही अगर
फिर क्यूँ कल के लिए आज हम नीर बहाएँ

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