सन 2005 की रचना
क्या होती है आशा?
कोई तो बता दे मुझे उसकी परिभाषा।
फूल को माली से आशा,
दे उसे पानी इतना,
कि खिलकर दूर करे वो लोगों की निराशा।
क्या होती है आशा?
दोस्तों को दोस्तों से आशा,
हर कदम पर साथ दे,
हर राह पर हमें जो हंसाता।
क्या होती है आशा?
माँ बाप को बच्चों से है आशा।
पढ़े लिखें बड़े बने,
उनके बूढ़े कंधों को जवाँ कांधों की अभिलाषा।
क्या होती है आशा?
दिए को बाती से आशा।
कि वो जले तपे,
संसार को रोशनी दे, तम को दूर करें।
क्या होती है आशा?
प्यार को प्यार की आशा,
दिल को धड़कने की आशा,
फूल को खिलने की आशा,
ख़ुशी को बसने की आशा।
हाँ, ये होती है आशा,
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से है आशा,
पतझड़ को बहार की आशा,
अन्धकार को रौशनी से है आशा,
प्यासे को कुऐं की आशा,
आज को कल से है आशा।
क्या होता ना होती अगर ये आशा?
चारों तरफ़ होती सिर्फ निराशा।
कोशिश करें पूरी करें हम हर आशा,
क्यूंकि इंसान को इंसान से है आशा।
आशा है इंसानियत की, प्यार की, अपनेपन की।
जी हाँ, यही है मेरी आशा।।
क्या होती है आशा?
कोई तो बता दे मुझे उसकी परिभाषा।
फूल को माली से आशा,
दे उसे पानी इतना,
कि खिलकर दूर करे वो लोगों की निराशा।
क्या होती है आशा?
दोस्तों को दोस्तों से आशा,
हर कदम पर साथ दे,
हर राह पर हमें जो हंसाता।
क्या होती है आशा?
माँ बाप को बच्चों से है आशा।
पढ़े लिखें बड़े बने,
उनके बूढ़े कंधों को जवाँ कांधों की अभिलाषा।
क्या होती है आशा?
दिए को बाती से आशा।
कि वो जले तपे,
संसार को रोशनी दे, तम को दूर करें।
क्या होती है आशा?
प्यार को प्यार की आशा,
दिल को धड़कने की आशा,
फूल को खिलने की आशा,
ख़ुशी को बसने की आशा।
हाँ, ये होती है आशा,
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से है आशा,
पतझड़ को बहार की आशा,
अन्धकार को रौशनी से है आशा,
प्यासे को कुऐं की आशा,
आज को कल से है आशा।
क्या होता ना होती अगर ये आशा?
चारों तरफ़ होती सिर्फ निराशा।
कोशिश करें पूरी करें हम हर आशा,
क्यूंकि इंसान को इंसान से है आशा।
आशा है इंसानियत की, प्यार की, अपनेपन की।
जी हाँ, यही है मेरी आशा।।
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