दिनांक- 17 अक्टूबर 2013
यादों के झरोखों में झाँक कर देखा
बीते पलों को टटोल कर देखा
खाली वक़्त में बीते समय का हिसाब लगाया
ना जाने क्या छोड़ा, क्या पाया
कभी यारों के झुंड में शामिल थे
हर दिन का आना जाना था
जगह बदली, वक़्त बदला
आज उस झुंड का नामो निशान नही।
यारों को छोड़ा, नये साथियों को पाया।।
कभी उस जगह पे खेला करते थे
वहाँ टहला करते लोगों को निहारते थे
जो अपनी सी लगती थी,आज उस जगह पे अपने निशाँ नहीं।
उस जगह को छोड़ा, एक नया रास्ता अपनाया।
कभी चिट्ठी लिख करके, हाल पूछते थे
अपनो का पता लिख लिया करते थे
एक बार मिलने की आस को जगा कर रखते थे
आज उस कलम काग़ज़ का, उस पते का पता नही
उस कलम को छोड़ा, नई तक्निकिओं को अपनाया।
वक़्त आगे बढ़ना सिखाता हैं, फैसला हम करते है
पीछे रह जाती है यादें, जिन्हे भुला हम देते है
फ़ुर्सत में बैठे हो अगर, तो याद गुज़रे वक़्त को करते है
व्यस्त हो जीवन में तो, खुद को ही भुला देते है ।।
यादों के झरोखों में झाँक कर देखा
बीते पलों को टटोल कर देखा
खाली वक़्त में बीते समय का हिसाब लगाया
ना जाने क्या छोड़ा, क्या पाया
कभी यारों के झुंड में शामिल थे
हर दिन का आना जाना था
जगह बदली, वक़्त बदला
आज उस झुंड का नामो निशान नही।
यारों को छोड़ा, नये साथियों को पाया।।
कभी उस जगह पे खेला करते थे
वहाँ टहला करते लोगों को निहारते थे
जो अपनी सी लगती थी,आज उस जगह पे अपने निशाँ नहीं।
उस जगह को छोड़ा, एक नया रास्ता अपनाया।
कभी चिट्ठी लिख करके, हाल पूछते थे
अपनो का पता लिख लिया करते थे
एक बार मिलने की आस को जगा कर रखते थे
आज उस कलम काग़ज़ का, उस पते का पता नही
उस कलम को छोड़ा, नई तक्निकिओं को अपनाया।
वक़्त आगे बढ़ना सिखाता हैं, फैसला हम करते है
पीछे रह जाती है यादें, जिन्हे भुला हम देते है
फ़ुर्सत में बैठे हो अगर, तो याद गुज़रे वक़्त को करते है
व्यस्त हो जीवन में तो, खुद को ही भुला देते है ।।
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