Friday, September 20, 2013

Ganesh utsav (2009)

साल २००९ बड़ा बुरा वक़्त है लाया
रिसेशन की स्थिति में स्वाइन फ्लू ने अपना पैर है जमाया
रोज़ देर तक ऑफिस में बैठा करते थे
ऐसे में स्वाइन फ्लू ने वर्क फ्रॉम होम का सपना दिखाया
वक़्त आया है गणेश उत्सव का
लोगों के आनद और हर्षोल्लास  का।

महामारियों से बचाना चाहता हूँ
मुँह  पे पट्टा  लगाकर पूजा कर रहा हूँ,
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए
इन्टरनेट पे गणेशजी के दर्शन कर रहा हूँ।

बप्पा यह सब देख रहे थे
देखकर खुश हो रहे थे
सामने आये बप्पा मेरे , कान बड़े बड़े
मोदक खाकर पैर हिला रहे थे
बोले - मांग क्या मांगता है,
ऐसा वक़्त बार बार नहीं आता है। 

बप्पा - सुनो दास्ताँ मेरी, करो अधूरी इच्छा पूरी

पांच साल से नौकरी कर रहा हूँ,
एक ही प्रोजेक्ट में अपने को घिस रहा हूँ।
साल २ ० ० ९ मेरे प्रमोशन का साल है,
ऐसे में रिसेशन से सबका बुरा हाल है। 
प्रमोशन के बहाने एक लड़की पटाता,
साल २ ० ० ९ में झट पट शादी कर लेता। 
चलो प्रमोशन नहीं आया, जाने दो
इन्क्रीमेंट के जरिये, लक्ष्मी को घर आने दो।
इन्क्रीमेंट क्या खाक आएगा, स्वाइन फ्लू आ गया,
बची कुची पूँजी अपने साथ बहा ले गया।

ऐसे बुरे वक़्त में हमें  मोदक का स्वाद चखा दो
इन सब मुसीबतों से मुक्त करा दो। 

गणेश जी बोले- बेटा साल २००९ सब पर है भारी
सूर्यग्रहण ने चारों तरफ महामारी फैलाई।
तुम्हारी व्यथा सुन जवाब तुम्हारी भाषा में देता हूँ
खुद को मैनेज और डेवलपर दोनों समझ लेता हूँ।
कोड के साथ डिफेक्ट तुम डिलीवर कर देते हो,
इस तरह अपना प्रमोशन तुम खुद ही ब्लाक कर लेते हो।
मुफ्त में पैसे क्यों लुटा रहे हो,
बेवजह मॉल में जाकर बीमारियाँ फैला रहे हो।
बोनस अगर इतना है ज़रूरी ,
तो वर देता हूँ, तुम्हे मिले दो बीवी
महामारी से ज्यादा, बीवी मच देगी तबाही

सुनकर होश उड़  गए मेरे
न करो बाप्पा ऐसा तुम मेरे ,
समझ में आ गया मुझे
धैर्य  ही समस्या का हल है
यह सब मेरी ही करनी का फल है,

बाप्पा तुम ग्रेट हो
तुम्हारी हर तरफ जय जय हो।




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