Wednesday, March 13, 2013

नारी


तुम कांटों के बीच खिला  एक फूल हो
तुम दर्द में ज़ख्म पर लगा मरहम हो
तुम जीवन में पायल  की झंकार हो

तुम से शुरुआत है, तुम पर ख़त्म ये  दुनिया
सहती सब कुछ हो, फिर भी तुम्हे कुछ न कहना
तुम वो अश्रु हो जो मोती किसी के लिए , किसी के लिए सिर्फ पानी है
तुम प्यार हो किसी का, किसी के लिए सिर्फ नारी हो

है फैला  धुआं कितना, तप  रही हो तुम
कहाँ है वो लोग, जिनको पति - भाई कहती हो तुम
लूटा जा रहा है हमे, लुटते देख रहे हो तुम
क्या यही तक साथ था तुम्हारा, जो  अब छोड़ चले हो तुम

नहीं मुझे कोई लोभ, नहीं अब  प्यार किसी से
है ईश्वर मेरे साथ, है यह जीवन उसी  से
बस इतना है  कहना, बहुत कुछ है सहना
इस पापी संसार में, है ईश्वर - अब नारी को जन्म मत लेने देना

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