हर रात के बाद एक नई सुबह आती है ,
मेरे जीवन में उम्मीदो की रौशनी वो लाती है।
कहने को तो कुछ भी नहीं मेरे पास,
पर फिर भी जीवन जीने की मुझे है आस।
तकदीर के आगे किसी की नहीं चलती
पर बिना मेहनत क्या जीवन की गाड़ी चलती?
मैं भी मेहनत करता हूँ ,
रोज़ दर दर भटकता हूँ ,
गिरता हूँ, संभालता हूँ
तभी टकराता हूँ आप से-
महत्वाकांशी , ओजपूर्ण , गौरवमय इंसान से
जो धिक्कारता मुझे, चला जाता मेरे पास से।
सोचा क्यों ना बात करूँ मैं आज आप से
अरे बाबू - माना तकदीर ने मुझे दगा दिया
पर तुमने क्या भला किया ?
निगाहें चुराकर मुहँ फेर लिया !
और मुझे लाचारी और बेबसी के अन्धकार में फिर से धकेल दिया।
यह सुनकर बाबु सकपकाया
न जाने क्यों उसे मेरी आँखों में विश्वास नज़र आया
अपनी अकड़ में बाबू बोला मुझसे - क्या कर सकता है तू जीवन में?
यह सुनकर मैं बोला - सपने कौन नहीं देखता ?
मैं भी कुछ बनाना चाहता हूँ
मैं पढना चाहता हूँ, अपने सपनो को साकार करना चाहता हूँ
लाचारी और बेबसी के इस जीवन से बहार निकल,
एक आत्म निर्भर जीवन जीना चाहता हूँ।
मैं इस देश का गौरव बनना चाहता हूँ,
मैं अकेला हूँ, असहाय हूँ
इस संसार से अनभिज्ञ हूँ
मेरे पैरों तले ज़मीन नहीं, सर पर साया नहीं
मैं आपका सहारा चाहता हूँ
निवेंदन करता हूँ आप से
थाम लो हाथ मेरा, दे दो सहारा मुझे
दलदल में फसाँ हूँ, बाहर निकालो मुझे
तड़पता हूँ, छटपटाता हूँ , थोडा सुकूँ दे दो मुझे
हर पल नीर बहाता , मुस्कान दे दो मुझे
लाचारी की बेडियों में जकड़ा हूँ, आज़ाद कर दो मुझे
सपने है मेरे कुछ, पंख दे दो उन्हें
होंसला और विश्वास है मेरे पास, अपना साथ दे दो मुझे
मौका दो मुझे - जीने दो मुझे, जीने दो मुझे
एक आत्मनिर्भर जीवन, जीने दो मुझे
सुनकर हैरान था बाबू ,
बोला मुझसे - होंसला और साहस है तुझ में
जीने की आस है तुझे
हम सभी आत्म-निर्भर है , इन बच्चों के अधूरे सपनो को पूरा कर सकते है।
तो क्यों न हम सब हाथ मिलाये
विकासशील देश को विकसित बनाये
आइये हम सब आगे बढे
समाज की निम्न रेखा से इन लोगों को ऊपर ऊठाएं
और इन्हे आत्म निर्भर बनाये।
मेरे जीवन में उम्मीदो की रौशनी वो लाती है।
कहने को तो कुछ भी नहीं मेरे पास,
पर फिर भी जीवन जीने की मुझे है आस।
तकदीर के आगे किसी की नहीं चलती
पर बिना मेहनत क्या जीवन की गाड़ी चलती?
मैं भी मेहनत करता हूँ ,
रोज़ दर दर भटकता हूँ ,
गिरता हूँ, संभालता हूँ
तभी टकराता हूँ आप से-
महत्वाकांशी , ओजपूर्ण , गौरवमय इंसान से
जो धिक्कारता मुझे, चला जाता मेरे पास से।
सोचा क्यों ना बात करूँ मैं आज आप से
अरे बाबू - माना तकदीर ने मुझे दगा दिया
पर तुमने क्या भला किया ?
निगाहें चुराकर मुहँ फेर लिया !
और मुझे लाचारी और बेबसी के अन्धकार में फिर से धकेल दिया।
यह सुनकर बाबु सकपकाया
न जाने क्यों उसे मेरी आँखों में विश्वास नज़र आया
अपनी अकड़ में बाबू बोला मुझसे - क्या कर सकता है तू जीवन में?
यह सुनकर मैं बोला - सपने कौन नहीं देखता ?
मैं भी कुछ बनाना चाहता हूँ
मैं पढना चाहता हूँ, अपने सपनो को साकार करना चाहता हूँ
लाचारी और बेबसी के इस जीवन से बहार निकल,
एक आत्म निर्भर जीवन जीना चाहता हूँ।
मैं इस देश का गौरव बनना चाहता हूँ,
मैं अकेला हूँ, असहाय हूँ
इस संसार से अनभिज्ञ हूँ
मेरे पैरों तले ज़मीन नहीं, सर पर साया नहीं
मैं आपका सहारा चाहता हूँ
निवेंदन करता हूँ आप से
थाम लो हाथ मेरा, दे दो सहारा मुझे
दलदल में फसाँ हूँ, बाहर निकालो मुझे
तड़पता हूँ, छटपटाता हूँ , थोडा सुकूँ दे दो मुझे
हर पल नीर बहाता , मुस्कान दे दो मुझे
लाचारी की बेडियों में जकड़ा हूँ, आज़ाद कर दो मुझे
सपने है मेरे कुछ, पंख दे दो उन्हें
होंसला और विश्वास है मेरे पास, अपना साथ दे दो मुझे
मौका दो मुझे - जीने दो मुझे, जीने दो मुझे
एक आत्मनिर्भर जीवन, जीने दो मुझे
सुनकर हैरान था बाबू ,
बोला मुझसे - होंसला और साहस है तुझ में
जीने की आस है तुझे
हम सभी आत्म-निर्भर है , इन बच्चों के अधूरे सपनो को पूरा कर सकते है।
तो क्यों न हम सब हाथ मिलाये
विकासशील देश को विकसित बनाये
आइये हम सब आगे बढे
समाज की निम्न रेखा से इन लोगों को ऊपर ऊठाएं
और इन्हे आत्म निर्भर बनाये।