Saturday, January 21, 2017

गर मैं ना रहूँ

गर मैं ना रहूं, मुझे याद तुम ना करना
मेरे लौटने का इंतज़ार तुम ना करना।

है कई रास्ते हमने साथ ते किए
गुज़रे लम्हों को याद तुम ना करना।

जीने का मज़ा तो आज में है
जो रहा नहीं, उसके लिए नीर तुम ना बहाना।

गुज़री दास्ताँ बदली नहीं जाती
बेवजह आंसू किसी को तुम ना दिलाना।
कुछ ऐसा करो, मुस्कराहट हर तरफ बिखेरो
खुश हर किसी को रखा करो।
यूँही किसी को ग़म में ना डुबोना
गर जाने के बाद पछतावा तुम ना करना।

जाना तो सभी को एक दिन है
किसी के आज को आबाद तुम ज़रूर करना।
यादें गुज़रे वक़्त को लौटा नहीं सकती
किसी के जनाज़े को खुशनुमा नहीं कर सकती।
ज़िन्दगी एक फूल है, बंजर उसे तुम न करना।
गर मैं न रहूँ, मुझे याद तुम ना करना।