Tuesday, March 20, 2012

गर्भ शिशु की आवाज़

मैं एक छोटा सी कली, एक छोटा सा बीज हूँ
इस अद्भुत दुनिया में आने को बेताब हूँ
तुम्हारे सपनों को पूरा करने का आधार हूँ,
तुम्हारे ही पानी से सींचा गया हूँ।

जगह बहुत छोटी सी है, खुद को समेट बैठा हूँ मैं,
कुछ समझ ना आये,ना जाने कहाँ रहता हूँ मैं।
तुम मुझे प्यार करती हो, नहीं पता मुझको,
पर अद्भुत एहसास दिलाती हो, यह महसूस होता मुझको।

मैं डरता हूँ,जब तुम चिल्लाती हो,
खुश होता हूँ, जब मुस्कुराती हो,
शांत होता हूँ, जब कोई मंत्र पढ़ जाती हो
हैरान होता हूँ, जब अनभिज्ञ आवाज़े सुनाती हो।

मुझे दुनिया अपनी नज़रों से तुम दिखाती हो,
मेरे लिए ना जाने कितने दर्द सह जाती हो।
यह महसूस कर खुश होता हूँ मैं,
तुम्हारे आँचल में खेलने को बेताब हूँ मैं।

तुम जननी मेरी, शिशु तुम्हारा हूँ,
मैं तुम्हारे जीने का सहारा हूँ।
मैं वो नींव हूँ, जो जन्म कोख में लेती है,
निर्माण तुम्हे करना है,इसलिए दुनिया में जन्म लेती है।