Saturday, April 2, 2011

बिल्ली मौसी

बिल्ली मौसी देखो प्यारो कितनी है प्यारी
आने से पहले पर्मिसिओं लेकर ही अन्दर आती
आती है तो सबकुछ उल्टापुल्टा करके जाती
बनता हुआ काम बिगाड़ कर इठलाकर चली जाती

उसकी दो चमकीली आँखें कितनी है प्यारी
लेकिन अन्धेरें में हमको इससे है डराती
काली बिल्ली, सफ़ेद बिल्ली, जैसी भी हो बिल्ली
बिल्ली तो बिल्ली होती है, न वो सगी किसी की


म्याऊँ म्याऊँ करके वो पूछे - क्या मैं अन्दर आ जाऊं
आने के बाद वो चाहे अब मैं सबकुछ खा जाऊं
खाने के बाद वो चाहे अब मैं उसे पाचाऊँ
पचने के बाद वो चाहे जल्दी से सो जाओं

चूहे को देखे तो बिल्ली उसके पीछे भागे
दौड़े भागे उसके पीछे लेकिन पकड न पाए
पकड़ में आ जाये अगर तो उसको फिर खा जाये
खाने के बाद वो चाहे जल्दी से सो जाए


दबे पाँव वो आती है, दबे पाँव चली जाती
परेशां वो हरदम करती फिर भी सबको प्यारी
कोई उससे डरे, कोई उसे पुचकारे
लेकिन जग में प्यारो वो सबकी मौसी कहलाए

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