है आँचल में छुपाया जिसे,
मुस्कान उसकी सुहानी है।
क्या नाम रखूँ सोचूँ आज मैं
कि नाम तेरा हो पूरे जग में।
नीर जो तेरी आँखों से बहें
है तेरे गालों पे डेरा जमाते,
मैं चूम कर उन्हें पी लेती हूँ,
है मोती तेरी आँखों के जो प्यारे।
टिमटिमाती आँखों से देखा मुझे
सरस्वती अभी जिव्हा में विराजी नहीं,
है कुछ बात उस स्पर्श में
बिन कहे सब कुछ तू बोलती।
वक़्त बीतने का इंतज़ार करूँ मैं
कब माँ कह कर मुझे बुलाएगी,
है मेरी छाती से लिपटी हुई
कब मेरी ऊँगली थामे पग आगे बढ़ाएगी।
लो गुज़र रहा हर पल है,
अठखेलिया तेरी मुझे सताती
परेशान तुम हरदम करती,
कितना मुझे सताती है।
अपनी बातों में मगन रहती,
मेरा कहा कहाँ मानती है
दौड़ में शामिल हो तुम,
मेरे आगे से भाग जाती है।
देखो समय की रफ़्तार को,
किताबो के बोझ तले तुम दबी जा रही हो
जो शिक्षक न सताते हो,
मेरे आक्रोश से डरी जा रही हो।
वो नन्हें कदम, नन्हीं मुस्कान अब कहाँ है,
मेरे कांधों को छू जा रही हो
उम्र हो चली मेरी है
अब मुझ में दोस्त अपना ढूंढ रही हो।
कोई बात है, खोई से तुम रहा करती हो
नई राह में, नए साथी जो पा रही हो।
काँटों से भरी इस दुनिया में , आगे बढ़ना होगा
सूझबूझ से अब हर निर्णय तुम्हें लेना होगा।
वक़्त ने पासा पलटा है
ख़ुशी जो मिली मुझे, किसी और की खुशहाली बन रही हो।
मेरे आँगन को मेहकाकर,
अब किसी और के आँगन को महकाने जा रही हो।
काश वक़्त आज यही रुक जाए
तुम्हारी अठखेलियां मैं जी लूँ
कल की चिंता को मिटाया जाए
मैं आज इस पल को तुम्हारे साथ थोड़ा जी लूं