मैं समय हूँ - ना रुका हूँ, ना रुकता कभी
बस चलता हूँ, चलता रहूँगा यूहीं
अगर मैं इतिहास हूँ,
तो वर्त्तमान और भविष्य भी मैं ही हूँ
हर पल, हर समय एक जीवन जीता हूँ
मैं कल होकर भी आज को बनता हूँ
और आज होकर भी, कल बन जाता हूँ
मैं एक पहिया हूँ, जो रुकता ना कभी
बस चलता हूँ, चलता रहूँगा यूंही
मैं किसी के लिए नहीं रुकता
न मुझे कोई रोक सका है
मैं किसी के साथ नहीं चलता
न कोई मुझे पीछे छोड़ आगे चल सका हैं
जो मुझे जीत लेते हैं, वो मंजिल पा जाते हैं
जो मुझसे हार जाते हैं, वो मिटटी में मिल जाते हैं
चाहो तो मेरा दामन थामे, तुम मंजिल पा जाओ
चाहो तो छोड़ कर मुझे, तुम राह भटक जाओ
पाना चाहो विजय मुझ पर अगर
तो चलो सशक्त नियमों पर
ना पाना चाहो, तो चलो दिशाहीन राह पर
मैं अनमोल हूँ,
मैं अमिट हूँ, और अजय भी
मैं आधार हूँ, और साकार भी
ना रुका हूँ, ना रुकता कभी
बस चलता हूँ, चलता रहूँगा यूहीं