मैं एक छोटा सी कली, एक छोटा सा बीज हूँ
इस अद्भुत दुनिया में आने को बेताब हूँ
तुम्हारे सपनों को पूरा करने का आधार हूँ,
तुम्हारे ही पानी से सींचा गया हूँ।
जगह बहुत छोटी सी है, खुद को समेट बैठा हूँ मैं,
कुछ समझ ना आये,ना जाने कहाँ रहता हूँ मैं।
तुम मुझे प्यार करती हो, नहीं पता मुझको,
पर अद्भुत एहसास दिलाती हो, यह महसूस होता मुझको।
मैं डरता हूँ,जब तुम चिल्लाती हो,
खुश होता हूँ, जब मुस्कुराती हो,
शांत होता हूँ, जब कोई मंत्र पढ़ जाती हो
हैरान होता हूँ, जब अनभिज्ञ आवाज़े सुनाती हो।
मुझे दुनिया अपनी नज़रों से तुम दिखाती हो,
मेरे लिए ना जाने कितने दर्द सह जाती हो।
यह महसूस कर खुश होता हूँ मैं,
तुम्हारे आँचल में खेलने को बेताब हूँ मैं।
तुम जननी मेरी, शिशु तुम्हारा हूँ,
मैं तुम्हारे जीने का सहारा हूँ।
मैं वो नींव हूँ, जो जन्म कोख में लेती है,
निर्माण तुम्हे करना है,इसलिए दुनिया में जन्म लेती है।
Tuesday, March 20, 2012
Sunday, February 12, 2012
मैं समय हूँ - ना रुका हूँ, ना रुकता कभी
बस चलता हूँ, चलता रहूँगा यूहीं
अगर मैं इतिहास हूँ,
तो वर्त्तमान और भविष्य भी मैं ही हूँ
हर पल, हर समय एक जीवन जीता हूँ
मैं कल होकर भी आज को बनता हूँ
और आज होकर भी, कल बन जाता हूँ
मैं एक पहिया हूँ, जो रुकता ना कभी
बस चलता हूँ, चलता रहूँगा यूंही
मैं किसी के लिए नहीं रुकता
न मुझे कोई रोक सका है
मैं किसी के साथ नहीं चलता
न कोई मुझे पीछे छोड़ आगे चल सका हैं
जो मुझे जीत लेते हैं, वो मंजिल पा जाते हैं
जो मुझसे हार जाते हैं, वो मिटटी में मिल जाते हैं
चाहो तो मेरा दामन थामे, तुम मंजिल पा जाओ
चाहो तो छोड़ कर मुझे, तुम राह भटक जाओ
पाना चाहो विजय मुझ पर अगर
तो चलो सशक्त नियमों पर
ना पाना चाहो, तो चलो दिशाहीन राह पर
मैं अनमोल हूँ,
मैं अमिट हूँ, और अजय भी
मैं आधार हूँ, और साकार भी
ना रुका हूँ, ना रुकता कभी
बस चलता हूँ, चलता रहूँगा यूहीं
बस चलता हूँ, चलता रहूँगा यूहीं
अगर मैं इतिहास हूँ,
तो वर्त्तमान और भविष्य भी मैं ही हूँ
हर पल, हर समय एक जीवन जीता हूँ
मैं कल होकर भी आज को बनता हूँ
और आज होकर भी, कल बन जाता हूँ
मैं एक पहिया हूँ, जो रुकता ना कभी
बस चलता हूँ, चलता रहूँगा यूंही
मैं किसी के लिए नहीं रुकता
न मुझे कोई रोक सका है
मैं किसी के साथ नहीं चलता
न कोई मुझे पीछे छोड़ आगे चल सका हैं
जो मुझे जीत लेते हैं, वो मंजिल पा जाते हैं
जो मुझसे हार जाते हैं, वो मिटटी में मिल जाते हैं
चाहो तो मेरा दामन थामे, तुम मंजिल पा जाओ
चाहो तो छोड़ कर मुझे, तुम राह भटक जाओ
पाना चाहो विजय मुझ पर अगर
तो चलो सशक्त नियमों पर
ना पाना चाहो, तो चलो दिशाहीन राह पर
मैं अनमोल हूँ,
मैं अमिट हूँ, और अजय भी
मैं आधार हूँ, और साकार भी
ना रुका हूँ, ना रुकता कभी
बस चलता हूँ, चलता रहूँगा यूहीं
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